महाराष्ट्र में भाषा विवाद ने तूल पकड़ रखा है. राज्य के मराठी और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में पहली और 5वीं क्लास तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का विरोध हो रहा है. इस पर शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, जिन दो लोगों की मीटिंग हुई, उसमें ये तय हुआ है कि कोई हिंदी का विषय बिहार में चलाए तो कोई मराठी का बीएमसी चुनाव में. हम ना किसी का समर्थन करते हैं और ना विरोध. बीएमसी के स्कूलों में हिंदी में सीखते हैं और मराठी में भी. ये भी जरूरी है. राज्य की भाषा के साथ इंग्लिश भी होनी चाहिए. सिंगापुर में भी इंग्लिश को प्राथमिकता दी गई है.
आदित्य ठाकरे ने कहा, आप हमारी शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान दीजिए. पहली क्लास में क्या वो बच्चा इतना लोड ले पाएगा. अ, ब, क पढ़ पाएगा? बच्चों पर ज्यादा लोड ना हो, इसका भी ध्यान रखें. पहले शिक्षक भर्ती का मुद्दा सुधारें. स्कूलों में मिड-डे-मील, लाइट, पंखे नहीं हैं. इन सब पर भी ध्यान दें. मराठी पहले से है और आखिरी तक रहे. उसके बाद इंग्लिश हो. टेक्नोलॉजी पर ध्यान दें. बच्चों का भविष्य अच्छा हो.
पानी की समस्या पर कोई जवाब नहीं दे रहा है
शिक्षा के मुद्दे के साथ ही उन्होंने पानी की समस्या पर सरकार को घेरा. आदित्य ठाकरे ने कहा कि मुंबई में पानी की बहुत दिक्कत हो रही है. पानी की समस्या पर कोई जवाब नहीं दे रहा है. ना सरकार कुछ कह रही है और न संबंधित मंत्री. हीटवेव भी बढ़ रही है. सीएम साहब ने कल आदेश दिया 5 लाख पेड़ कट रहे हैं. पेड़ों का कत्ल हो रहा है. ठाणे में भी पेड़ काट रहे हैं… आखिर किस बिल्डर के लिए ये सब हो रहा है?
ऐसे अगर हो रहा है तो उन्हें डिपोर्ट करें
आदित्य ठाकरे ने घाटकोपर में नॉनवेज मामले को लेकर कहा कि ऐसे अगर हो रहा है तो उन्हें डिपोर्ट करें, जैसे ट्रंप ने किया था. तभी हम समझेंगे कि ये सरकार मराठी लोगों के साथ खड़ी है. बता दें कि घाटकोपर की एक सोसाइटी के लोगों और मराठी भाषी लोगों के साथ तीखी बहस हुई थी. मामले ने तूल पकड़ा तो पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा. सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी सामने आया था. इसमें मनसे कार्यकर्ता सोसाइटी में रहने वाले गुजरातियों पर वहां रहने वाले मराठी भाषी लोगों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए नजर आ रहे थे.